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बैंक की उत्पत्ति,परिभाषा

बैंक’शब्द का प्रयोग एवं इसका उद्गम  :-

 बैंक शब्द का प्रयोग सबसे पहले सन् 1157 में इटली में हुआ था जहां बैंक ऑफ बेनिस की स्थापना की गई थी। सन् 1171 में वेनिस राज्य में युद्ध हुआ जिसके कारण आर्थिक संकट की स्तिथि उत्पन्न हो गई। इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए राज्य ने प्रतेक नागरिक से उसकी संपत्ति का 1 प्रतिशत अनिवार्य ऋण के रूप में मांगा। उस समय इटली में अधिकांश भाग पर जर्मनी का शासन था। अतः ऋण के इस सामूहिक कोष को ‘Bank’ नाम दिया गया। जर्मन भाषा में ‘Banck’ का अर्थ ‘निधि’ या ‘कोष’ होता है। बाद में यही शब्द इटालियन भाषा में ‘Banko’ फ्रांसीसी भाषा के ‘Bancke’ तथा ब्रिटिश भाषा के ‘Bank’ के नाम से विख्यात हो गया। प्रथम बैंक ‘वेनिस बैंक के नाम से वेनिस,इटली में 1157 में युद्ध को वित्त प्रदान करने हेतु स्थापित की गई थी, परन्तु आधुनिक बैंको की स्थापना 1640 के बाद हुई। भारत में हिंदुस्तान बैंक के नाम से 1770 में एलेक्जैंडर एण्ड कम्पनी द्वारा जो कोलकाता की अंग्रेजी एजेंसी थी, की स्थापना की गई जो 1782 में असफल हो गई। परन्तु आधुनिक अर्थ में प्रथम बैंक की स्थापना बंगाल में ‘बैंक ऑफ बंगाल’ के नाम से 1806 में बंगाल प्रेसीडेंसी में हुई।   

क्राउथर ने आधुनिक बैंको का पूर्वज सुनार और सर्राफ को माना है। इन लोगो के पास मूल्यवान वस्तूए एवं सोना - चांदी अधिक मात्रा में होने के कारण इन्हें अपनी सुरक्षा हेतु बंदूकधारी चौकीदार रखने पड़ते थे तथा सामान रखने के लिए वे लोहे की आलमारी तथा तिजोरी का प्रयोग करते थे। अतः जनता इनके पास अपना सामान एवं बहुमूल्य पदार्थ तथा मुद्राएं रखना सुरक्षित समझती थी। सुनार और सर्राफ जनता से सुरक्षा हेतु प्राप्त मुद्राओं तथा आभूषणों, आदि के बदले रसीद दे दिया करते थे तथा इस कार्य के लिए कुछ शुल्क भी वसूल करते थे। धीरे - धीरे यें रसीदें आधुनिक पत्र - मुद्रा के रूप में कार्य करने लगीं। एधर सुनार और सर्राफ ने यह अनुभव किया कि एक ऐसा वर्ग भी हैं जिसे मुद्राओं की आवश्यकता बनी रहती हैं। अतः क्यों न ऐसे व्यक्तियों को मुद्राएं उधार देकर उनसे मुद्राओं की वापसी के साथ कुछ शुल्क भी वसूल किया जाए। उंकोन ऐसा ही करना प्रारंभ कर दिया जिससे आधुनिक बैंकिंग प्रादुर्भाव हुआ। 
 

बैंक की परिभाषा  
बैंक की प्रमुख परिभाषाएं एवं उनकी व्याख्या निम्नानुसार है:
1.गिलबर्ट के अनुसार,“ बैंक पूंजी अथवा मुद्रा का व्यवसायी है : 
कई देशों ने विदेशी व्यापार के माध्यम से अपार धन कमा कर तीव्र गति से आर्थिक प्रगति की है। कुछ देशों ने विदेशी मुद्रा का अर्ज इसलिए किया है कि अपने लिए आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं का आयात कर सके। 
व्याख्या :- इसका अर्थ यह है कि है बैंक उधार देें वालों तथा उधार लेने वालों के  बीच एक कड़ी हैं, क्योंकि वह कुछ 
व्यक्तियों की धनराशि जमा करता है और वही धनराशि दूसरो को उधर देता है। बैंक की इस परिभाषा में बैंक के केवल दो कार्यों - जमा करना तथा उधर देना - को महत्व दिया गया है, जबकि आधुनिक बैंक तो अनेक कार्य करती है 
2.किनके के अनुसार,“बैंक एक ऐसी संस्था है जो ऋण की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए ऐसे व्यक्ति को रुपया उधार देती है जिसे उसकी आवश्यकता है तथा जब लोगों को धन की आवश्यकता नहीं होती तो वे अपना धन, उसके पास जमा कर देते है। ”
3.भारतीय बैंकिंग कम्पनी अधिनियम,1949 में “बैंकिंग से तात्पर्य ऋण देने तथा जनता से जमाए प्राप्त करना है जो की मांग पर भुगतान योग्य होती है तथा चेक, ड्राफ्ट अथवा अन्य प्रकार की आज्ञा द्वारा शोधनिय होती है” 

बैंक की एक सरल व संक्षिप्त परिभाषा निम्न शब्दों में दी जा सकते है -
“बैंक वह संस्था है जो अपने ग्राहकों के लिए धन संबंधी लेन - देन के सभी कार्य करती हैं।”
अतः बैंक एक ऐसी संस्था हैं को की जनता से कम जमा स्वीकार करे तथा साख का सृजन करके अग्रिम धन देती हो।

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