Breaking News

Reserve Bank of India

प्रस्तावना(Introduction)

भारत में 1 अप्रैल, 1935 को रिजर्व बैंक की स्थापना हुई जो भारत का केंद्रीय बैंक हैं। प्रथम विश्व - युद्ध के पश्चात् यह अनुभव किया गया की भारतीय मौद्रिक प्रणाली अपूर्ण है, क्योंकि मुद्रा का निर्गमन एवं साख का नियंत्रण दो विभिन्न संस्थाओं के हाथों में था। भारत सरकार के पास मुद्रा निर्गमन का और इम्पीरियल बैंक के पास साख नियंत्रण का कार्य था। सन् 1925 में हिल्टन यंग आयोग ने एक केंद्रीय बैंक स्थापित करने पर जोर दिया। आयोग का मत था कि भारतीय मुद्रा बाजार में मुद्रा तथा साख नियमन करने की दोहरी नियंत्रण की प्रणाली उचित नहीं है तथा भारतीय मुद्रा बाजार को सुव्यवस्थित और संगठित करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की जाय।

रिजर्व बैंक की स्थापना

 (Eatablishment of Reserve Bank)-

केंद्रीय बैंकिंग जांच समिति ने भी 1931 में रिजर्व बैंक की स्थापना पर जोर दिया जिसके फलस्वरूप सन् 1934 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट पारित किया गया और 1 अप्रैल, 1935 से रिजर्व बैंक ने अपना कार्य प्रारम्भ किया।

बैंक का स्वामित्व (Ownership of Bank)- 
राष्ट्रीयकरण के पूर्व रिजर्व बैंक अंशधारियों का बैंक था। इसकी अधिकृत पूंजी ₹ 5 करोड़ थी, जो ₹ 100 वाले 5 लाख अंशो में विभाजित थी। 1 जनवरी,1949 को रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। जो अंश, निजी अंशधारियों के थे, वे भारत सरकार ने खरीद लिए।

पूंजी (Capital)- पूर्व के समान वर्तमान में भी रिजर्व बैंक की पूंजी ₹ 5 करोड़ हैं जो 100 वाले 5 लाख अंशो में विभाजित हैं, किन्तु अब सभी अंश भारत सरकार के पास है क्योंकि रिजर्व बैंक अब एक सरकारी संस्था है।

स्थापना के उद्देश्य (Objectives of Establishment)-
रिजर्व बैंक की स्थापना मुख्यतः निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई थी -
1. रुपए के बाह्य एवं आंतरिक मूल्यों में स्थिरता लाना,
2.साख एवं मुद्रा नीतियों में समन्वय,
3.व्यापारिक अधिकोषो के नकद कोषों का केंद्रीकरण,
4.व्यापारिक बैंको का समुचित विकास,
5.कृषि साख की व्यवस्था,
6.मुद्रा बाजार का संगठन,
7.विदेशों से मौद्रिक संपर्क,
8.समंको का प्रकाशन, और
9.सहकारी बैंकों की स्थापना एवं विकास।

रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण(Nationalisation of Reserve Bank)


राष्ट्रीयकरण - जब सरकार किसी उद्योग अथवा व्यापार का स्वामित्व स्वयं ग्रहण कर लेती हैं तो इस कार्य को राष्ट्रीयकरण कहते हैं। इस व्यवस्था में सम्बन्धित उद्योग सरकार के अधिकार में आ जाता है, उसके संचालन की व्यवस्था सरकार द्वारा है कि जाती हैं और उससे सम्बन्धित नीतियों का निर्धारण और उनका पालन भी सरकार द्वारा है कि जाती हैं और उससे सम्बन्धित नीतियों का निर्धारण और उनका पालन भी सरकार द्वारा होता है।

राष्ट्रीयकरण के पक्ष में तर्क
( Argument in Favour of Nationalisation)
रिजर्व बैंक के राष्ट्रीयकरण के पक्ष में अग्रलिखित तर्क प्रस्तुत किए गए है -

1.तीव्र आर्थिक विकास (Quick Financial Development)- स्वतंत्रता के पश्चात् सरकार को तीव्र गति से आर्थिक नीति अपनानी पड़ी जिसके लिए रिजर्व बैंक को सरकारी अधिकार में लेना ही एकमात्र उचित एवं निश्चित तरीका था।

2.सरकारी नीति का पालन (Adhere of Government Policy)- राष्ट्रीयकरण के पक्ष में दूसरा और अत्यंत शक्तिशाली तर्क यह था कि सरकार को मुद्रा नियमन सम्बन्धी अधिकतम अधिकार दिए जाने चाहिए। इन अधिकारों की पूर्ण प्राप्ति केंद्रीय बैंक का राष्ट्रीयकरण हुए बिना संभव नहीं थी।

3.मुद्रा बाजार का संगठन (Orgnisation of Money Market)- सुसंगठित मुद्रा बाजार और सुदृढ़ व्यवस्था, तीव्र एवं नियोजित आर्थिक विकास के आवश्यक अंग है। अतः इन आवश्यकताओं कि पूर्ति हेतु भी यह उचित समझा गया की रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाए।

4.अन्तर्राष्ट्रीय पो प्रवृति (International Trend)- सन् 1940 के उत्तरार्द्ध में विश्व के अनेक महत्वपूर्ण केंद्रित बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जो चुका था। इन बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने रिजर्व बैंक के राष्ट्रीयकरण की मांग को भी बल प्रदान किया।

5.अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग (International Help)- अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग व वित्तीय सहायता की दृष्टि से भी रिजर्व बैंक का राष्ट्रीयकरण आवश्यक हो गया था।

6.अंशधारियों का एकाधिकार (Monopoly of shareholders’)- यद्यपि रिजर्व बैंक एक राष्ट्रीय संस्था थी, किन्तु व्यवहार में उसके अंशपत्र कुछ ही व्यक्तियों के हाथों में केंद्रित हो गए थे और केंद्रीयकरण की यह प्रवित्ती निरंतर बढ़ती जा रही थी , जिसे रोकने के लिए बैंक का राष्ट्रीयकरण आवश्यक हो गया।

7.जन - भावना (Public Emotions)- भारत की जन - भावना रिजर्व बैंक के राष्ट्रीयकरण के पक्ष में थी, उसका अनादर करना उचित नहीं था।

उपर्युक्त कारणों से सन् 1948 में रिजर्व बैंक (सार्वजनिक अधिकार में हस्तांतरण) अधिनियम पारित किया गया और 1 जनवरी, 1949 से बैंक पर पूर्णतः सरकारी अधिकार हो गया। भारत सरकार ने निजी अंशधारियों के सभी अंशों को स्वयं खरीद लिया। प्रत्येक ₹ 100 वाले अंश के लिए भारत सरकार ने ₹ 118.62 मूल्य देना स्वीकार किया जिसमें से ₹ 18.62 तुरंत नकद में तथा शेष के लिए सरकारी बॉन्ड्स दिए गए। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ