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बैंको के प्रकार

बैंको के प्रकार

(Types of Banks)

आधुनिक अर्थव्यवस्था में अनेक प्रकार के बैंक पाए जाते हैं जिनमें मुख्य निम्नांकित हैं 
1.केंद्रीय बैंक(Central Bank)- प्रत्येक देश में प्रायः एक केंद्रीय बैंक होता है। इसे नोट निर्गमन का अधिकार प्राप्त होता है और देश की मुद्रा व्यवस्था की सुचारू रूप से चलाने का उत्तरदायित्व भी उसी का ही होता है। इस हेतु वह देश की बैंकिंग व्यवस्था पर नियंत्रण रखता हैं और व्यापारिक बैंको को समय - समय पर नीति संबंधी निर्देश देता है। 
केंद्रीय बैंक सरकार की ओर से सम्पूर्ण लेन - देन करता है और उसका हिसाब रखता है  सरकार को जितने वित्तीय लेन - देन होते हैं वे सभी केंद्रीय बैंक के माध्यम से ही होते है। वह सरकार का एजेंट तथा सलाहकार भी होता है। आज के युग में प्रायः सभी देशों के केंद्रीय बैंक सरकारी स्वामित्व में हैं। भारत के रिजर्व बैंक सन् 1935 में एक निजी बैंक के रूप में स्थापित किया गया था। सन् 1949 में सरकार ने इसकी सम्पूर्ण पूंजी खरीद कर इसे अपने अधिकार में ले लिया था। 
केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंको का ही बैंक होता है। 
यह व्यापारिक बैंको की धनराशियां जमा करता है तथा उन्हें ऋण भी देता है। केंद्रीय बैंक में व्यक्तिगत कहते नहीं खोले जाते, वह व्यक्तियों के लेन - देन का व्यवसाय नहीं करता। 
भारत का ’‚ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ’‚ इंग्लैंड का‘ बैंक ऑफ इंग्लैंड’‚ इत्यादि के ड्रिय बैंक के उदाहरण है। 
2.व्यापारिक बैंक या संयुक्त पूंजी वाले बैंक (Commercial Banks or joint stok banks)- व्यापारिक बैंक प्रायः कंपनियों की भांति अंश बेचकर स्थापित किए जाते है। इनका संचालन तथा प्रबंध एक संचालन मंडल के हाथ होता है जिसका काम बैंक की नीति निर्धारित करना होता है। संसार के प्रायः सभी देशों में व्यापारिक बैंको के कार्यों को किसी कानून द्वारा नियंत्रण करने के लिए ‘बैंकिंग नियमन अधिनियम’ (Banking Regulation Act) हैं जो सन् 1949 में पास   किया 
गया था। 
कई देशों में व्यापारिक बैंको दो प्रकार के होते हैं। कुछ बैंक ऐसे है जो शासकीय है तथा कुछ बैंक ऐसे है जिनमें निजी पूंजी लगीं हुई हैं। भारत में स्टेट बैंक और उसके सात सहायक बैंक तथा सन् 1969 में सरकारी स्वामित्व बैंक्स हैं। इन बैंको का संचालन पृथक कानून के अन्तर्गत होता है। 
व्यापारिक बैंक जनता से धन जमा करते हैं और कृषि, व्यापार , उद्योग तथा अन्य क्षेत्रों को धन उधार देते हैं।
3.विदेशी विनिमय बैंक ( Foreign Exchange Bank)- सामान्य रूप में 
व्यापारिक बैंक ही विदेशी मुद्रा का लेन - देन करते हैं और विदेशी व्यापार के लिए धन की व्यवस्था करते हैं। किन्तु कहीं - कहीं विशेष प्रकार के बैंक स्थापित किए गए हैं जो साधारण व्यापारिक बैंको के काम भी करते हैं, किन्तु मुख्य रूप से वे विदेशी विनिमय का ही लेन - देन करते हैं। इनके विशिष्ट कार्यों के कारण ही इन्हें विनिमय बैंक या विदेशी विनिमय बैंक कहा जाता है। 
विनिमय बैंक विदेशों में धन भेजते हैं, ग्राहकों की ओर से विदेशी बिलो को स्वीकार करते हैं, उनकी कटौती करते हैं तथा ड्राफ्ट, यात्री चेक और साखपत्र लिखते हैं। इन बैंको में प्रायः अधिक प्रशिक्षित एवं योग्य कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती हैं जिन्हें अच्छे वेतन दिया जाते हैं। इन बैंको की सहायता से विदेशी व्यापार के विकास में सहायता प्राप्त होती है।  
4.कृषि बैंक (Agricultural bank)कृषि बैंको को निम्न तीन भागो में बांटा का सकता हैं (i) सहकारी बैंक (ii) भूमि बंधक बैंक, तथा (iii) विशिष्ट कृषि बैंक। 
यदि अधिक गहराई से देखा जाए तो भूमि बंधक बैंक भी सहकारी बैंक की भांति होते हैं, किन्तु उनका कार्य सर्वथा भिन्न होता है। 
(I) सहकारी बैंक (Co-operative Banks) प्रायः कृषि के लिए अल्पकालीन ऋण देेते हैं।  
इन बैंको का उद्देश्य लाभ अर्जित करना नहीं है। अतः वे अपने सदस्यों की सस्ते और सरल ऋण देते हैं। सहकारी बैंकों में प्राथमिक समितियों की स्थापना ग्रामों में की जाती है, प्रत्येक जिले में एक केंद्रीय सहकारी बैंक स्थापित किया जाता है तथा प्रत्येक राज्य में एक राज्य सहकारी बैंक होता है। 
कुछ सहकारी बैंक ऐसे होते हैं जो कृषि के साथ - साथ अन्य क्षेत्रों को भी ऋण देते ऐं किन्तु सहकारी बैंकों का मुख्य व्यवसाय खेती तथा ग्रामीण व्यवसाय की उन्नति के लिए धन की व्यवस्था करना हैं 
(ii) भूमि बंधक बैंक(Land Mortgage Banks)- भूमि को बंधक रखकर कृषि विकास के लिए ऋण देते हैं। इन बैंको द्वारा दीर्घकालीन ऋण दिए जाते हैं। इन बैंको के अधिकांश साधन ऋण पत्र बेचकर प्राप्त किए जाते है। जिनकी गारंटी राज्य सरकार द्वारा दी जाती हैं। इन बैंको को वर्तमान में भूमि विकाश बैंक कहते हैं
(iii) विशिष्ट कृषि बैंक( Special Agriculture Banks)- कुछ देशों में सर्वथा   स्वतंत्र कृषि बैंक या कृषि विकाश बैंक स्थापित किए गए हैं। यह बैंक कृषि के लिए उधार देने वाली संस्थाओं को धन उधार देता हैं। 
भारत में नवम्बर 1982 में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड - NABARD) स्थापित किया गया है।  
5. विकास बैंक (Devlopement Bank)- 
इन बैंको को औद्योगिक बैंक भी कहा जाता है। विकाश बैंको की स्थापना सरकार द्वारा या सहयोग से की जाती है। इनमे  सरकार पर्याप्त मात्रा में पूंजी लगती हैं तथा इन बैंको को सरकार से अल्पकाल एवं दीर्घकाल के लिए ऋण भी मिलते हैं। इन बैंको की अधिकांश पूंजी ऋणपत्र बेचकर प्राप्त की जाती है। इन ऋणपत्रों के मूल तथा ब्याज की सरकार द्वारा गारंटी की जाती है। केंद्रीय बैंक भी बैंको को विभिन्न प्रकार की आर्थिक सहायता देता हैं। 
विकास बैंक या औद्योगिक बैंक प्रायः बड़े तथा मध्यम पै पैमाने के उद्योगों को ऋण देने के लिए स्थापित किए जाते हैं। इनके द्वारा प्रायः 10 से लेकर 20-25 वर्ष तक की अवधि के ऋण दिए जाते हैं भारत में स्थापित औद्योगिक विकास बैंक, बड़े उद्योगों को दीर्घकालीन ऋण भी देते हैं। 6
.बचत बैंक(Saving Banks)- जनता की छोटी - छोटी बचतों को जमा करने के लिए पश्चिमी देशों में अलग से बचत बैंक स्थापित किए गए हैं। इन बैंको में लोगो की छोटी - छोटी बचते जमा होती है जिन्हें समय - समय पर निकाला जा सकता है। बचत बैंक प्रायः उधार देने का काम नहीं करते , किन्तु बड़े - बड़े बचत बैंक व्यापारिक बैंको की भांति ही काम करते हैं। 
7.डाकघर बचत बैंक(Post Office Savings Banks)- कुछ देशों में डाकघर में ही एक अलग विभाग होता है जिसे ‘डाकघर बचत बैंक कहा जाता है। डाकघर बचत बैंक में केवल बचते जमा की जाती है और उन पर ब्याज दिया जाता हैं। इन बैंको द्वारा उधार देने की परिपाटी नहीं हैं, क्योंकि इनमें जमा धनराशि का प्रयोग सरकार द्वारा विकास कार्यों में किया जाता है। भारत में डाकघरों में बचत खाते खोले जाते हैं तथा इन पर अच्छा ब्याज भी दिया जाता है। 
8.विनियोग बैंक( Investment Banks)- छोटी - छोटी बचतों को एकत्रित करके उन्हें लाभप्रद ढंग से विनियोजित करने के लिए भी कुछ संस्थाएं संसार के विभिन्न भागों में स्थापित हुई हैं जोकि ‘ विनियोग बैंक’ के नाम से जानी जाती हैं। इन संस्थाओं में जीवन बीमा निगम/कंपनियां तथा सरकारी अथवा निजी क्षेत्र में कार्य करने वाले यूनिट ट्रस्ट (Unit Trust) शामिल हैं। म्युचुअल फण्ड ने इस ओर अधिक महत्वपूर्ण कार्य किया है तथा जमाराशि में काफी वृद्धि की हैं। 
9.निर्यात - आयात बैंक(Export-Import Banks)- निर्यात - आयात हेतु वित्त की व्यवस्था करने के लिए अमेरिका और जापान में अलग से निर्यात बैंक स्थापित किए गए हैं। अमेरिका के निर्यात - आयात बैंक का नाम ‘संयुक्त राज्य का आयात - निर्यात बैंक’ हैं तथा जापान के आयात - निर्यात बैंक का नाम ‘ जापान का निर्यात - आयात बैंक’ हैं। भारत में भी सन् 1983 में निर्यात - आयात बैंक स्थापित किया जा चुका है। 
10.राष्ट्रीय आवास बैंक(National Housing Bank)- 1 जुलाई, 1989 में राष्ट्रीय आवास बैंक ने राष्ट्रीयकृत बैंको तथा कई अनुसूचित बैंको के माध्यम से गृह - ऋण खाता स्कीम शुरू की हैं। इस बैंक ने गृह - ऋण लेने के लिए बचत योजना लागू की है।

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