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Central banking ( Introduction of Central Banking)

प्रस्तावना (Introduction)

विल रोजर्स के अनुसार, “संसार में तीन महान आविष्कार हुए हैं - आग, पहिए तथा केंद्रीय बैंकिंग” (There have been three great inventions since the beginning of time : The fire, the wheel and Central Banking), इससे केंद्रीय बैंक के महत्व का अनुमान होता है। 


केंद्रीय बैंक - सामान्य परिचय (Central Bank : General Introduction)


विश्व के सभी महत्वपूर्ण देशों में केंद्रीय बैंक मौद्रिक एवं वित्तीय प्रणाली की मुख्य धुरी के समान है। केंद्रीय बैंक देश का सर्वोच्च बैंक होता है। किसी भी देश में सरकार की आर्थिक क्रियाएं केंद्रीय बैंक के माध्यम से ही संचालित होती है। भारत में इसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, इंग्लैण्ड में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड, अमेरिका में फेडरल रिजर्व सिस्टम तथा फ्रांस में बैंक ऑफ फ्रांस के नाम से जाना जाता है।

केंद्रीय बैंक का विकास (Development of Central Bank)


विश्व का पहला केंद्रीय बैंक सन् 1656 में स्वीडन में रीश (Reich) बैंक के नाम से स्थापित हुआ। इसके बाद 1664 में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड की स्थापना हुई। इसे है केंद्रीय बैंकों कि जननी कहा जाता है। इसका कारण यह हैं की बैंक ऑफ इंग्लैण्ड ने जिन पद्धतियों और परम्पराओं की स्थापना की उन्हें विश्व के सभी देशों के सभी बैंको ने अपनाया। सन् 1800 में बैंक ऑफ फ्रांस, 1814 में बैंक ऑफ नीदरलैंड, 1856 में बैंक ऑफ स्पेन, 1869 में बैंक ऑफ रशिया तथा 1875 में रीश बैंक ऑफ जर्मनी की स्थापन हुई। 1900 के बाद अन्य देशों में भी तेजी से केंद्रीय बैंक स्थापित हुए। 1913 में अमेरिका में फेडरल रिजर्व सिस्टम की स्थापना हुई। भारत में हिल्टन यंग कमीशन की सिफारिश पर सन् 1935 में केंद्रीय बैंक के रूप में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना हुई। भारत में रिजर्व बैंक ही केंद्रीय बैंक हैं जिसे केंद्रीय बैंक के सभी अधिकार प्राप्ति हैं। 

केंद्रीय बैंक की परिभाषा(Defination of Central bank)


किसी देश के के केंद्रीय बैंक को ‘केंद्रीय’ इसलिए कहा जाता है कि देश के मौद्रिक तथा बैंकिंग क्षेत्र में उसका स्थान केंद्रीय होता है। इस बैंक को देश के किसी अधिनियम द्वारा कुछ ऐसी विशेष शक्तियां प्रदान की जाती है जो अन्य किसी बैंक के पास प्रायः नहीं होती। केंद्रीय बैंक की विभिन्न परिभाषाएं दी गई है, जो निम्न प्रकार है-

1.क्राउथर- केंद्रीय बैंक अन्य बैंको के लिए वही स्थिति रखता है जोकि स्वयं बैंको की जनता के प्रति होती हैं।” 

2.केण्ट- “केंद्रीय बैंक एक ऐसी संस्था है, जिसे सामान्य जनहित को दृष्टि में रखते हुए मुद्रा की मात्रा के विस्तार और संकुचन का प्रबन्ध करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती हैं।”

3.वेरा स्मिथ - “केंद्रीय बैंकिंग से आशय उस बैंक व्यवस्था से हैं जिसमें किसी एक बैंक को नोटों की निकासी का पूर्ण या अवशेष एकाधिकार प्राप्त होता है।”

4.किश एवं एलकिन -“केंद्रीय बैंक का मुख्य कार्य मौद्रिक मान की स्थिरता को बनाए रखना है जिससे मौद्रिक चलन का समावेश होता है।” 

5.सेयर्स - “केंद्रीय बैंक का कार्य व्यापारिक बैंको को इस प्रकार नियंत्रित करना है जिससे राज्य की सामान्य मौद्रिक नीति को प्रोत्साहन प्राप्त हो सके। ”

उचित परिभाषा - केंद्रीय बैंक एक ऐसी संस्था है जो देश की मौद्रिक, बैंकिंग तथा साख - व्यवस्था का इस प्रकार नियमन एवं निर्देशन करती हैं कि जिससे देश की आर्थिक प्रगति वांछित गति से उचित दिशाओं में होती रहे। 
वास्तव में, केंद्रीय बैंक इस बात का ध्यान रखता हैं कि आर्थिक प्रगति में कोई बढ़ा उत्पन्न न हो और इसकी सिद्धि के लिए वह उचित मात्रा में मुद्रा चलन में डालता है, साख की मात्रा का नियमन करता हैं, बैंकिंग व्यवस्था पर नियंत्रण रखता हैं और विदेशी विनिमय की दर स्थिर रखने का प्रयास करता है, क्योंकि इसमें से एक कि भी व्यवस्था बिगड़ने पर सारा अर्थतंत्र अस्त - व्यस्त होने का भय रहता है। 

केंद्रीय बैंक की आवश्यकता (Need of Central bank)

किसी भी देश में केंद्रीय बैंक की आवश्यकता निम्न कारणों से होती है -

1.पत्र मुद्रा का निर्गमन - किसी भी देश में पत्र मुद्रा निर्गमन का एकाधिकार केंद्रीय बैंक को ही होता है, क्योंकि एक बैंक से ही मुद्रा निर्गमन से उसकी मात्रा एवं नियंत्रण की उचित व्यवस्था की जा सकती हैं। 

2.साख नियंत्रण - देश में जहां एक ओर उत्पादन में वृद्धि करने के लिए साख का विस्तार आवश्यक है वहीं दूसरी ओर कीमतों में स्थायित्व के लिए भी साख का नियंत्रण आवश्यक है। साख नियंत्रण का महत्वपूर्ण कार्य केंद्रीय बैंक को ही सौंपा गया है। 

3.बैंको की आर्थिक सहायता - देश में व्यापारिक बैंकों की सहायता के लिए एक ऐसे केंद्रीय बैंक की आवश्यकता है जो अंतिम ऋणदाता के रूप में कार्य कर सके। यह कार्य केंद्रीय बैंक को सौंपा गया है। 

4.व्यापारिक बैंको का नियंत्रण - व्यापारिक बैंको के उचित नियंत्रण के लिए भी केंद्रीय बैंक की आवश्यकता है जिससे वे सरकार की मौद्रिक नीति के अनुसार कार्य कर सके। 

5.सरकारी मौद्रिक नीति की सफलता - केंद्रीय बैंक की आवश्यकता इसलिए भी हैं कि देश के सरकार की मौद्रिक नीति को सफल बनाया जा सके। 

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